ऊठ पंढरीच्या राजा
ऊठ पंढरीच्या राजा वाढवेळ झाला
थवा वैष्णवांचा दारी दर्शनासी आला
पूर्व दिशी उमटे भानू
घुमे वारियाचा वेणू
सूर सूर वेणूचा त्या सुगंधात न्हाला
कुक्षी घेऊनिया कुंभा
उभी ठाकी चंद्रभागा
मुख प्रक्षाळावे देवा, गोविंदा गोपाला
पुंडलिक हाका देई
उभ्या राही रखुमाबाई
निरांजने घेऊन हाती सिद्ध आरतीला
थवा वैष्णवांचा दारी दर्शनासी आला
पूर्व दिशी उमटे भानू
घुमे वारियाचा वेणू
सूर सूर वेणूचा त्या सुगंधात न्हाला
कुक्षी घेऊनिया कुंभा
उभी ठाकी चंद्रभागा
मुख प्रक्षाळावे देवा, गोविंदा गोपाला
पुंडलिक हाका देई
उभ्या राही रखुमाबाई
निरांजने घेऊन हाती सिद्ध आरतीला
गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
संगीत | - | सुधीर फडके |
स्वर | - | प्रसाद सावकार |
चित्रपट | - | संत गोरा कुंभार |
राग | - | देसकार, भूप |
गीत प्रकार | - | चित्रगीत, विठ्ठल विठ्ठल |
कुक्षी | - | कूस, कंबर. |
प्रक्षाळणे | - | धुणे. |
भानू | - | सूर्य. |
वेणु | - | बासरी. |
वैष्णव | - | विष्णुभक्त. |
वाढवेळ | - | फार वेळ. |
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