त्या हें नमन करिं
त्या हें नमन करिं हरिला । अतुलबला ॥
भुजबलें वधि असुरभूपां । धीबलें कधिं कपटकूपां ।
धरित पशुमीनादिरूपां । मनुज कधिं झाला ॥
विविध मायावेष घेई । चढवि ललनारूप देहीं ।
गद्य जणुं संगीत होई । जगद्वनिं सजला ॥
भुजबलें वधि असुरभूपां । धीबलें कधिं कपटकूपां ।
धरित पशुमीनादिरूपां । मनुज कधिं झाला ॥
विविध मायावेष घेई । चढवि ललनारूप देहीं ।
गद्य जणुं संगीत होई । जगद्वनिं सजला ॥
गीत | - | श्रीपाद कृष्ण कोल्हटकर |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | स्वर कोणाचा(चे) माहित असल्यास संपर्क करा. |
नाटक | - | वधूपरीक्षा |
राग | - | बिहाग |
ताल | - | रुपक |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, नांदी |
असुर | - | राक्षस. |
कूप | - | कुंपण. |
धीमान् (धी) | - | बुद्धीमान. |
भूप | - | राजा. |
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