सुरसुखखनि तूं विमला
सुरसुखखनि तूं विमला सगुणा कविबाला ॥
वदनमणि मज, रमणी, अचुक दावि मार्गाला ॥
देवयानिदेह धरे अमरविभवगुण सारे ।
सकलकला कवितनुजाचरण मला ॥
वदनमणि मज, रमणी, अचुक दावि मार्गाला ॥
देवयानिदेह धरे अमरविभवगुण सारे ।
सकलकला कवितनुजाचरण मला ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वराविष्कार | - | ∙ प्रभाकर कारेकर ∙ पं. भीमसेन जोशी ∙ पं. वसंतराव देशपांडे ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | विद्याहरण |
राग | - | किरवाणी |
ताल | - | दादरा |
चाल | - | वरमुल सखि |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
खनि | - | खाण. |
तनुजा | - | कन्या. |
रमणी | - | सुंदर स्त्री / पत्नी. |
विभव | - | संपत्ती, ऐश्वर्य. |
विमल | - | स्वच्छ / निर्मल / पवित्र / पांढरा / सुंदर. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.