रंगला रे हरी यमुनाकिनारी
रंगला रे हरी यमुनाकिनारी
रंगात न्हाल्या गोकुळच्या नारी
गोपींसंगे श्याम दंगला
यमुनेचाही ओघ थांबला
होऊनिया धुंद बासरीरवाने
कौतुक पाही वसुंधरा सारी
रंगुनि जाता दिसे आगळी
श्रीरंगाची मूर्ति सावळी
लावूनिया छंद उभ्या गोकुळाला
विसरला भान देव चक्रधारी
रंगात न्हाल्या गोकुळच्या नारी
गोपींसंगे श्याम दंगला
यमुनेचाही ओघ थांबला
होऊनिया धुंद बासरीरवाने
कौतुक पाही वसुंधरा सारी
रंगुनि जाता दिसे आगळी
श्रीरंगाची मूर्ति सावळी
लावूनिया छंद उभ्या गोकुळाला
विसरला भान देव चक्रधारी
गीत | - | उमाकांत काणेकर |
संगीत | - | श्रीकांत ठाकरे |
स्वर | - | महेंद्र कपूर |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, भावगीत |
आगळा | - | अग्रेसर / श्रेष्ठ / जास्त / अधिक / वैशिष्ट्यपूर्ण. |
रव | - | आवाज. |
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