सुकांत चंद्रानना पातली
सुकांत चंद्रानना पातली भ्रूधनु सरसावुनी ॥
कटाक्ष खरशर सोडुनि भेदित हृदयचि गजगामिनी ॥
रदन दिसति जणुं शशिबिंबाचे खंड मुखीं खोविले ॥
कुरळ केश शिरिं सरळ नासिका नेत्र कमलिनीदलें ॥
कटाक्ष खरशर सोडुनि भेदित हृदयचि गजगामिनी ॥
रदन दिसति जणुं शशिबिंबाचे खंड मुखीं खोविले ॥
कुरळ केश शिरिं सरळ नासिका नेत्र कमलिनीदलें ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वराविष्कार | - | ∙ अजितकुमार कडकडे ∙ प्रभाकर कारेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | संशयकल्लोळ |
राग | - | भूप, यमन |
चाल | - | लावणीची चाल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
कमळिणी | - | कमलिनी. कमळण. कमळाची वेल. |
खर | - | कठिण (संस्कृत) / गाढव (मराठी). |
भृकुटी (भ्रू) | - | भिवई. |
रदन | - | दात. |
शर | - | बाण. |
शशी | - | चंद्र. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.