सावन घन गरजे बजाये
सावन-घन गरजे; बजायें
मधुर मधुर 'मल्हार' !
चमचम नाचे उसकी सजनी
छेल छबिली नार !
इंद्र-धनुषका मोर-मुकुट सिर
सावन-घन घन-शाम चढायें
गोरी गोरी बिजली गोपी
अपना सुंदर रूप दिखायें
शहनाई बन-पवन बजायें
करें मयूर पुकार !
हरियाला सावन मन-भावन
बरसे अमृत-धार !
मधुर मधुर 'मल्हार' !
चमचम नाचे उसकी सजनी
छेल छबिली नार !
इंद्र-धनुषका मोर-मुकुट सिर
सावन-घन घन-शाम चढायें
गोरी गोरी बिजली गोपी
अपना सुंदर रूप दिखायें
शहनाई बन-पवन बजायें
करें मयूर पुकार !
हरियाला सावन मन-भावन
बरसे अमृत-धार !
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | वसंत देसाई |
स्वर | - | प्रसाद सावकार |
नाटक | - | पंडितराज जगन्नाथ |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, ऋतू बरवा |
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