संगीतरस सुरस मम
संगीतरस सुरस
मम जीवनाधार !
सूर ताल लय धून
नटला विविधरंगि
स्वररूप ओंकार !
आनंदघन असा
बरसे नभातून
हा वेद श्रुतिमान
सुखसार !
मम जीवनाधार !
सूर ताल लय धून
नटला विविधरंगि
स्वररूप ओंकार !
आनंदघन असा
बरसे नभातून
हा वेद श्रुतिमान
सुखसार !
गीत | - | शान्ता शेळके |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | रामदास कामत |
नाटक | - | हे बंध रेशमाचे |
राग | - | पटबिहाग |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
आनंदघन | - | आनंदाने परिपूर्ण. |
श्रुतिमान | - | कीर्तिमान. |
सुखसार | - | मोक्ष. |
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