साहसकर्म नका करूं
साहसकर्म नका करूं आतां,
उपदेश सकलां द्याहो अमृता ॥
देतां पांडवां आशीर्वादा,
भगिनी ही मागे गोविंदा वर,
सांग तूं शिष्या डावपेंच चार
सफल अवतार ऐसें होतां ॥
उपदेश सकलां द्याहो अमृता ॥
देतां पांडवां आशीर्वादा,
भगिनी ही मागे गोविंदा वर,
सांग तूं शिष्या डावपेंच चार
सफल अवतार ऐसें होतां ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वर | - | बालगंधर्व |
नाटक | - | द्रौपदी |
राग | - | पूरिया धनाश्री |
ताल | - | खेमटा |
चाल | - | सद्गुरू रायें |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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