कवितासुता लालित झाली
कवितासुता लालित झाली
क्षणकाल तरी सुफलित परिगणना कविमना ॥
अरसिक जरि कुणी काव्या गुणदोष दे फार अनुदार मनानें ।
तरि मग होई अतितर कविहृदया वेदना ॥
क्षणकाल तरी सुफलित परिगणना कविमना ॥
अरसिक जरि कुणी काव्या गुणदोष दे फार अनुदार मनानें ।
तरि मग होई अतितर कविहृदया वेदना ॥
गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | अनंत दामले |
नाटक | - | हाच मुलाचा बाप |
राग | - | मियां मल्हार |
ताल | - | एकताल |
चाल | - | कहे लाडली |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
लालित्य | - | पदरचनेचे सौंदर्य. |
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