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रूप-बली तो नर-शार्दुल

रूप-बली तो नर-शार्दुल साचा,
क्षणीं विनाशित रिपुभाव मनिंचा ॥

खला देखी, मग भूल फेंकी,
नयन-भाषण मनासि जिंकी,
क्षणीं विनाशित स्वभाव रिपुचा ॥