राधे तव रुसवा का
राधे तव रुसवा का गे?
प्रेम-सुधारस मधुर मधुर पी गे !
तव सुख-निधान श्याम गुणवान
तयास तू सनमान दे गे
क्षणभंगुर तारुण्य-कहाणी
अमर प्रीत-वरदान घे गे
प्रेम-सुधारस मधुर मधुर पी गे !
तव सुख-निधान श्याम गुणवान
तयास तू सनमान दे गे
क्षणभंगुर तारुण्य-कहाणी
अमर प्रीत-वरदान घे गे
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे, प्रभाकर भालेकर |
स्वर | - | कान्होपात्रा किणीकर |
नाटक | - | मदनाची मंजिरी |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, नाट्यसंगीत |
निधान | - | खजिना / स्थान. |
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