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राधाधरमधुमिलिंद जयजय

राधाधरमधुमिलिंद । जयजय रमारमण हरि गोविंद ॥

कालिंदी-तट-पुलिन-लांच्छित सुरनुतपादारविंद, जयजय ॥

उद्‌धृतनग मध्वरिंदमानघ सत्यपांडपटकुविंद, जयजय ॥

गोपसदनगुर्वलिंदखेलन बलवत्स्तुतितें न निंद, जयजय ॥