प्रेमरंगी रंगता आनंद पसरे
प्रेमरंगी रंगता आनंद पसरे दशदिशा
अमृताचा ओघ वाहे जीवनी फुलते उषा
कमलपुष्पातील तंतु, तेवि नाजूक बंधने
जीव जीवा भेटण्याला धावती त्या ओढीने
प्रेम देता लाभते सार्या सुखाची मंजुषा
अमृताचा ओघ वाहे जीवनी फुलते उषा
कमलपुष्पातील तंतु, तेवि नाजूक बंधने
जीव जीवा भेटण्याला धावती त्या ओढीने
प्रेम देता लाभते सार्या सुखाची मंजुषा
गीत | - | जगदीश दळवी |
संगीत | - | सी. रामचंद्र |
स्वर | - | विश्वनाथ बागुल |
नाटक | - | लावणी भुललि अभंगाला |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
तेवि | - | त्याप्रमाणे, तसे. |
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