परम गहन पाशां
परम गहन पाशां, विधिच्या कोण चुकवि । मनुज घेरि दुराशा ॥
प्रणयपाश गळिं पडला । जीव जिवां सांपडला ।
परिणय दृढबंधन तरि उभयांला । गति दे अविनाशा ॥
प्रणयपाश गळिं पडला । जीव जिवां सांपडला ।
परिणय दृढबंधन तरि उभयांला । गति दे अविनाशा ॥
गीत | - | गोविंदराव टेंबे |
संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
स्वर | - | वामनराव सडोलीकर |
नाटक | - | तुलसीदास |
राग | - | मिश्र काफी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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