नुरलें मानस उदास
नुरलें मानस उदास । गुंगवि ध्यान प्रभूचें ।
पदकमलीं वास रुचे ॥
पुलकित काया अहा ! ।
असुख सकल होई नाश । भव-भय गेलें लयास ॥
पदकमलीं वास रुचे ॥
पुलकित काया अहा ! ।
असुख सकल होई नाश । भव-भय गेलें लयास ॥
गीत | - | ना. वि. कुलकर्णी |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव, विनायकबुवा पटवर्धन |
स्वराविष्कार | - | ∙ पं. राम मराठे ∙ बालगंधर्व ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | संत कान्होपात्रा |
राग | - | तिलककामोद |
ताल | - | एकताल |
चाल | - | मन में मोहन विराजे |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत |
नुरणे | - | न उरणे. |
पुलकित | - | आनंदित. |
भव | - | संसार. |
मानस | - | मन / चित्त / मानस सरोवर. |
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