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मृगनयना रसिक मोहिनी

मृगनयना रसिक मोहिनी ।
कामिनी होति ती मंजुळ मधुरालापिनी ।
नवयौवनसंपन्‍न रम्य गतिविलासिनी ॥

आह्लादक मुखचंद्रहि होता ।
होती दृष्टि ती प्रेम-रस-वाहिनी ॥