मृगनयना रसिक मोहिनी
मृगनयना रसिक मोहिनी ।
कामिनी होति ती मंजुळ मधुरालापिनी ।
नवयौवनसंपन्न रम्य गतिविलासिनी ॥
आह्लादक मुखचंद्रहि होता ।
होती दृष्टि ती प्रेम-रस-वाहिनी ॥
कामिनी होति ती मंजुळ मधुरालापिनी ।
नवयौवनसंपन्न रम्य गतिविलासिनी ॥
आह्लादक मुखचंद्रहि होता ।
होती दृष्टि ती प्रेम-रस-वाहिनी ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | पं. वसंतराव देशपांडे |
नाटक | - | संशयकल्लोळ |
राग | - | दरबारी कानडा |
चाल | - | बंधन वा बाधो |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, नयनांच्या कोंदणी |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.