माता दिसली समरीं विहरत
माता दिसली समरीं विहरत, नेत सकल नरवीर रणासि ॥
मस्तकमाला गुंफित कालमहेश्वरपतिसेवेसि ॥
शिकवित भक्ता ही लीला जणुं भीषण युद्धकलेसी ॥
मस्तकमाला गुंफित कालमहेश्वरपतिसेवेसि ॥
शिकवित भक्ता ही लीला जणुं भीषण युद्धकलेसी ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
स्वर | - | छोटा गंधर्व |
नाटक | - | मानापमान |
राग | - | सिंधुरा |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | आयेरी सन गोपी वनवन |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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