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मन हो रामरंगी रंगले

रामरंगिं रंगलें मन ।
आत्मरंगीं रंगलें मन ।
विश्वरंगिं रंगलें ॥

चरणिं नेत्र गुंतले ।
भृंग अंबुजांतले ।
भवतरंग भंगले ।
अंतरंग दंगलें ॥