मद्यमद चोरि तप दाउनि
मद्यमद चोरि तप दाउनि सुख नरा ।
चौरकही बलभास; शापयोग्या सुरा ॥
ही वारयोषिता दारुणा सेविता ।
भस्म करिते जनां, व्याधि भयकरा ॥
चौरकही बलभास; शापयोग्या सुरा ॥
ही वारयोषिता दारुणा सेविता ।
भस्म करिते जनां, व्याधि भयकरा ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वर | - | विश्वनाथ बागुल |
नाटक | - | विद्याहरण |
राग | - | पूरिया धनाश्री |
ताल | - | झपताल |
चाल | - | दत्त गुरु दत्त गुरु |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
चौरिका | - | चोरी. |
मद | - | उन्माद, कैफ |
वारयोषिता | - | वेश्या. |
सुरा | - | मद्य. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.