मधुमधुरा तव गिरा
मधुमधुरा तव गिरा मोहना, भासे निशेची भूल मना ॥
मदिरा म्हणूं तरी ती भ्रांती, मधुरिपु हाचि खरा ही ख्याती;
दीनवशेपरी मनधरणी ही करवि, हें नवल होई जना ॥
मदिरा म्हणूं तरी ती भ्रांती, मधुरिपु हाचि खरा ही ख्याती;
दीनवशेपरी मनधरणी ही करवि, हें नवल होई जना ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वर | - | माणिक वर्मा |
नाटक | - | विद्याहरण |
राग | - | जिल्हा, खमाज |
ताल | - | पंजाबी |
चाल | - | तनमनकी सुध बिसर गई |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
गिरा | - | वाचा, भाषण, बोल. |
रिपु | - | शत्रु. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.