ललनामना नच
ललनामना नच अघलवशंका अणुहि सहते कदा ।
सृजनि त्याच्या विधि तरल घे विमल प्रकृतिसी पुण्य परम ॥
सृजनि त्याच्या विधि तरल घे विमल प्रकृतिसी पुण्य परम ॥
गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, बाई सुंदराबाई |
स्वराविष्कार | - | ∙ सरस्वतीबाई राणे ∙ रजनी जोशी ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | एकच प्याला |
राग | - | गरुडध्वनी |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | परब्रह्मो रघु |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत |
अघ | - | पाप. |
लव | - | सूक्ष्म. |
विमल | - | स्वच्छ / निर्मल / पवित्र / पांढरा / सुंदर. |
सृजन | - | निर्मिती. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.