कोपलास कां दया-सागरा
कोपलास कां दया-सागरा ! कां झाला अन्यायीं?
रडवितोस कां तुझ्या लेकुरा, जगतीं ठायीं ठायीं
कां तव माया ममता सरली?
कृपा तुझी कां ओसरली?
म्हणुनच कां रे दैव-कसाई काळिज तोडुन खाई?
रडवितोस कां तुझ्या लेकुरा, जगतीं ठायीं ठायीं
कां तव माया ममता सरली?
कृपा तुझी कां ओसरली?
म्हणुनच कां रे दैव-कसाई काळिज तोडुन खाई?
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | गोविंदराव अग्नि |
स्वर | - | जयमाला शिलेदार |
नाटक | - | चमकला धृवाचा तारा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
ठाय | - | स्थान, ठिकाण. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.