खरा तो प्रेमा ना धरि
खरा तो प्रेमा ना धरि लोभ मनीं ॥
नभिं जनहितरत भास्कर तापत,
विकसत पहा नलिनी ॥
पिडित जन देखतां, स्वसुखा त्यागी दया ।
जनभयहरण हेंचि सुख, सदया देवराया ।
दर्शन गुणवंताचें नाचवी प्रेमलहरी ।
गुणरसपान हेंचि सुख, प्रेम तया नांव जनीं ॥
नभिं जनहितरत भास्कर तापत,
विकसत पहा नलिनी ॥
पिडित जन देखतां, स्वसुखा त्यागी दया ।
जनभयहरण हेंचि सुख, सदया देवराया ।
दर्शन गुणवंताचें नाचवी प्रेमलहरी ।
गुणरसपान हेंचि सुख, प्रेम तया नांव जनीं ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
स्वराविष्कार | - | ∙ माणिक वर्मा ∙ बालगंधर्व ∙ आशा खाडिलकर ∙ मधुवंती दांडेकर ∙ कीर्ती शिलेदार ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | मानापमान |
राग | - | पहाडी, मांड |
ताल | - | केरवा |
चाल | - | सखेरी मैका पिया बिन |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
नलिनी | - | कमळ. |
भास्कर | - | सूर्य. |
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