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कांता मजसि तूंचि

कांता मजसि तूंचि, गुरूहि तूंचि, तुजसि निर्मी नेता विधाता ॥

बिकट रणीं मज शास्ता आतां तुझें भाषण;
कधिं न आप्ता रणीं वधिन, तूंचि रणाला नियंता ॥
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