जय जय दत्तराज माउली
जय जय दत्तराज माउली
जय जय योगिराज माउली
श्रीविधीहरिहर करुणासागर
परब्रह्म परिपूर्ण परात्पर
महाज्ञानी अवधूत दिगंबर, भक्तांची साउली
कृष्णा-भीमा चरण क्षाळिती
शीतल वायु ताप वारिती
नारद-तुंबर गाती, रमती ऋषीमुनी गुरुपाउली
तिन्ही मुखांवर शीतल शांती
शंख-चक्र-गदा-पद्म शोभती
त्रिभुवनत्राता चिरसुखदाता, समरस हा भूतली
जय जय योगिराज माउली
श्रीविधीहरिहर करुणासागर
परब्रह्म परिपूर्ण परात्पर
महाज्ञानी अवधूत दिगंबर, भक्तांची साउली
कृष्णा-भीमा चरण क्षाळिती
शीतल वायु ताप वारिती
नारद-तुंबर गाती, रमती ऋषीमुनी गुरुपाउली
तिन्ही मुखांवर शीतल शांती
शंख-चक्र-गदा-पद्म शोभती
त्रिभुवनत्राता चिरसुखदाता, समरस हा भूतली
गीत | - | कवी सुधांशु |
संगीत | - | विठ्ठल शिंदे |
स्वर | - | आर. एन्. पराडकर |
गीत प्रकार | - | भक्तीगीत, दिगंबरा दिगंबरा |
क्षालणे | - | धुणे. |
तुंबरु | - | गंधर्व. |
पद्म | - | कमळ. |
वारणे | - | दूर करणे / हाकणे. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.