जठरानला शमवाया
जठरानला शमवाया नीचा ।
कां न भक्षिसी गोमय ताजें ॥
धनलोभानें वद आजवरी ।
किती नेणत्या मूक कुमारी ॥
त्वां दिधल्या रे वृद्धवरकरीं ।
खाटिकही तव कृतिला लाजे ॥
कां न भक्षिसी गोमय ताजें ॥
धनलोभानें वद आजवरी ।
किती नेणत्या मूक कुमारी ॥
त्वां दिधल्या रे वृद्धवरकरीं ।
खाटिकही तव कृतिला लाजे ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वर | - | |
| नाटक | - | शारदा |
| राग / आधार राग | - | अडाणा |
| ताल | - | त्रिताल |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
टीप - • या गीताचे मूळ ध्वनीमूद्रण आमच्याकडे नाही. आपल्याकडे असल्यास, कृपया aathavanitli.gani@gmail.com या इ-पत्त्यावर पाठवा. ते रसिकांना ऐकण्यासाठी इथे उपलब्ध करून दिले जाईल. |
| गोमय | - | गाईचे शेण. |
| जठरानल | - | भूक. |
| नेणता | - | अजाण. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.











