हालत वातें मृदु शांती
हालत वातें मृदु शांति । ही ।
भासे हांसे कीं चंद्रलोकें तनुलकांति ॥
दशदिशा पुष्पपरागें दरवळुनि हंसत जणुं असती ॥
भासे हांसे कीं चंद्रलोकें तनुलकांति ॥
दशदिशा पुष्पपरागें दरवळुनि हंसत जणुं असती ॥
गीत | - | गोविंदाग्रज |
संगीत | - | किर्लोस्कर नाटक मंडळी |
स्वर | - | सुहासिनी कोराटकर |
नाटक | - | पुण्यप्रभाव |
चाल | - | डालन मेंडे |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.