धवल लौकिका
धवल लौकिका । मलिन करित मम जनता ॥
विमला मम कान्ता । जी जगता दे शुचिता ॥
पतियश नाशिल ती का? ॥
विमला मम कान्ता । जी जगता दे शुचिता ॥
पतियश नाशिल ती का? ॥
गीत | - | वसंत शांताराम देसाई |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
स्वराविष्कार | - | ∙ प्रभाकर कारेकर ∙ प्रभुदेव सरदार ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | अमृतसिद्धी |
राग | - | बागेश्री |
ताल | - | एकताल |
चाल | - | कमल कोमला |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
कांता | - | पत्नी. |
विमल | - | स्वच्छ / निर्मल / पवित्र / पांढरा / सुंदर. |
शुचि | - | शुद्ध, पवित्र, स्वच्छ. |
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