छेडियल्या तारा
छेडियल्या तारा
ते गीत येईना जुळून !
फुलते ना फूल तोच
जाय पाकळी गळून !
आकारून येत काहि
विरते निमिषात तेहि
स्वप्नचित्र पुसुनि जाय
रंग रंग ओघळून !
क्षितिजाच्या पार दूर
मृगजळास येई पूर
लसलसते अंकूर हे
येथ चालले जळून !
ते गीत येईना जुळून !
फुलते ना फूल तोच
जाय पाकळी गळून !
आकारून येत काहि
विरते निमिषात तेहि
स्वप्नचित्र पुसुनि जाय
रंग रंग ओघळून !
क्षितिजाच्या पार दूर
मृगजळास येई पूर
लसलसते अंकूर हे
येथ चालले जळून !
गीत | - | शान्ता शेळके |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वराविष्कार | - | ∙ पं. वसंतराव देशपांडे ∙ शौनक अभिषेकी ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | हे बंध रेशमाचे |
राग | - | मिश्र मांड |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
निमिष | - | पापणी लवण्यास लागणारा काळ. |
मृगजळ | - | आभास. |
लसलशीत | - | टवटवीत. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.