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बुझावो दीप ए सजनी

'बुझावो दीप ऐ सजनी'
यही है प्यार का पैगाम

जलनेवाले चिरागोंका
सुहानी रात में क्या काम?
सजनी, आज मीलनकी रात

एक चन्‍द्रमा गगन में चमके
दुजे हमारे साथ
करत नैन मदभरे तुम्हारे
अमृतकी बरसात

गुंज रही है मनकि कोयलिया
मीठी मीठी बात
फिर न कभी आयेगी ऐसी
सरस सुहानी रात !
गीत - विद्याधर गोखले
संगीत - पं. राम मराठे
स्वर- प्रसाद सावकार
नाटक - मंदार-माला
राग - सिंध भैरवी
ताल-केरवा
गीत प्रकार - नाट्यसंगीत

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