बोल कन्हैय्या का रुसला
बोल कन्हैय्या, का रुसला राधेवरी?
तू अनुरागा भारी चंचल
जैसे वाहे यमुनेचे जल
का रे धरिसी लटक्या रागा?
तुझ्यामुळे बदनामी झाली
नेत्र-पापण्या झुकल्या खाली
सोडी ना रे अपुला त्रागा?
तू अनुरागा भारी चंचल
जैसे वाहे यमुनेचे जल
का रे धरिसी लटक्या रागा?
तुझ्यामुळे बदनामी झाली
नेत्र-पापण्या झुकल्या खाली
सोडी ना रे अपुला त्रागा?
गीत | - | उमाकांत काणेकर |
संगीत | - | श्रीकांत ठाकरे |
स्वर | - | शोभा गुर्टू |
राग | - | पहाडी, मिश्र मांड |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, भावगीत |
अनुराग | - | प्रेम, निष्ठा. |
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