बसंत की बहार आयी
बसंत की बहार आयी
तरुवर, बन-बेलरियाँ
फूल रही डालरियाँ
मोर बोले, 'कोयलिया
नूर-बहार छाई'
कलियनसे भंवरा खेले
घुंघटका पट खोले
कली कली मुसकाई
रंग रंग सुख पायी
तरुवर, बन-बेलरियाँ
फूल रही डालरियाँ
मोर बोले, 'कोयलिया
नूर-बहार छाई'
कलियनसे भंवरा खेले
घुंघटका पट खोले
कली कली मुसकाई
रंग रंग सुख पायी
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे |
स्वर | - | पं. राम मराठे, प्रसाद सावकार |
नाटक | - | मंदार-माला |
राग | - | बहार, वसंत |
ताल | - | एकताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
तरुवर | - | तरू / झाड. |
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