आवडति वस्तु लोभानें
आवडति वस्तु लोभानें ।
पसरिला घ्यायालागि हात किं यानें ॥
सकल करांगुलिंवर रेखा या दिसति किं सुविमल जालमिषानें ॥
कमल सकाळीं किंचित फुलतां अविरलनवदलपरि मी मानें ॥
पसरिला घ्यायालागि हात किं यानें ॥
सकल करांगुलिंवर रेखा या दिसति किं सुविमल जालमिषानें ॥
कमल सकाळीं किंचित फुलतां अविरलनवदलपरि मी मानें ॥
गीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
संगीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
स्वर | - | पं. वसंतराव देशपांडे |
नाटक | - | शाकुंतल |
राग | - | परज |
ताल | - | त्रिताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
मिष | - | निमित्त. |
विमल | - | स्वच्छ / निर्मल / पवित्र / पांढरा / सुंदर. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.