काय वधिन मी ती सुमती
काय वधिन मी ती सुमती ।
नवयुवती अबला, साश्रुलोचना, धरुनि कुरलकुंतल या हातीं ॥
कोमल कुसुमित लता कधींही ।
लववुनि कुसुमें खुडिलीं नाहीं । आजवरी तीं ॥
नवयुवती अबला, साश्रुलोचना, धरुनि कुरलकुंतल या हातीं ॥
कोमल कुसुमित लता कधींही ।
लववुनि कुसुमें खुडिलीं नाहीं । आजवरी तीं ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | रामदास कामत |
नाटक | - | मृच्छकटिक |
राग | - | आसावरी |
ताल | - | त्रिताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
कुंतल | - | केस. |
कुसुमित | - | सुगंधित. |
लता (लतिका) | - | वेली. |
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