ये मौसम है रंगीन
ये मौसम है रंगीन रे, रंगीन शाम
सनम् ने दिया जो मुहोब्बत से जाम
जादूभरी लुत्फे मय् क्या कहूँ?
रसिली नज़र का असर क्या कहूँ?
हमें आसमाँ से है आया पयाम
खुदा मेहरबाँ हैं, न सागर को थाम
ओ मीनाकुमारी ! तुझे है कसम
पिला के भुला दे ये दुनिया के गम
बहुत प्यास है, और जवानी है कम
जुबाँ पे है दिलबर तेराहि नाम
सनम् ने दिया जो मुहोब्बत से जाम
जादूभरी लुत्फे मय् क्या कहूँ?
रसिली नज़र का असर क्या कहूँ?
हमें आसमाँ से है आया पयाम
खुदा मेहरबाँ हैं, न सागर को थाम
ओ मीनाकुमारी ! तुझे है कसम
पिला के भुला दे ये दुनिया के गम
बहुत प्यास है, और जवानी है कम
जुबाँ पे है दिलबर तेराहि नाम
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे, प्रभाकर भालेकर |
स्वराविष्कार | - | ∙ मधुवंती दांडेकर ∙ सुमन माटे ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | मदनाची मंजिरी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
लुत्फ़ | - | मज़ा / आनंद / सुख. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.