या नव नवल नयनोत्सवा
या नव नवल नयनोत्सवा ।
बघुनी मानस हें अनुभवत अभिनवा मोहन कोमल भावा ॥
रणस्नेहाची, सुन्दर युवती । आतां करी समाप्ती ।
वाटे अस्त्रचि हें रिपुहातीं । जिंकाया मम जीवा ॥
बघुनी मानस हें अनुभवत अभिनवा मोहन कोमल भावा ॥
रणस्नेहाची, सुन्दर युवती । आतां करी समाप्ती ।
वाटे अस्त्रचि हें रिपुहातीं । जिंकाया मम जीवा ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
स्वराविष्कार | - | ∙ छोटा गंधर्व ∙ प्रभाकर कारेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | मानापमान |
राग | - | खमाज |
ताल | - | त्रिताल |
चाल | - | या तव बघुनी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, नयनांच्या कोंदणी |
मानस | - | मन / चित्त / मानस सरोवर. |
रिपु | - | शत्रु. |
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