या लता शिकवती
या लता शिकवती रीत
अशी वरि वनिता
काटकता अभय प्रीत
करि धरिता मुकुरभार
सहे न हृदयी पुष्पहार
सहज उचली जलकुंभा ही विनीत
अशी वरि वनिता
काटकता अभय प्रीत
करि धरिता मुकुरभार
सहे न हृदयी पुष्पहार
सहज उचली जलकुंभा ही विनीत
गीत | - | राजा बढे |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | नारायण बोडस |
नाटक | - | धाडिला राम तिने का वनी? |
राग | - | दुर्गा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
मुकुर | - | आरसा. |
वनिता | - | स्त्री. |
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