या इथें लक्ष्मणा बांध
या इथें, लक्ष्मणा, बांध कुटी
या मंदाकिनिच्या तटनिकटीं
चित्रकूट हा, हेंच तपोवन
येथ नांदती साधक, मुनिजन
सखे जानकी, करि अवलोकन
ही निसर्गशोभा भुलवि दिठी
पलाश फुलले, बिल्व वांकले
भल्लातक फलभारें लवले
दिसति न यांना मानव शिवले
ना सैल लतांची कुठें मिठी
किती फुलांचे रंग गणावे?
कुणा सुगंधा काय म्हणावें?
मूक रम्यता सहज दुणावें
येतांच कूजनें कर्णपुटीं
कुठें काढिती कोकिल सुस्वर
निळा सूर तो चढवि मयूर
रत्नें तोलित निज पंखांवर
संमिश्र नाद तो उंच वटीं
शाखा-शाखांवरी मोहळे
मध त्यांच्यांतिल खालीं निथळे
वन संजीवक अमृत सगळें
ठेविती मक्षिका भरुन घटीं
हां सौमित्रे, सुसज्ज, सावध,
दिसली, लपली क्षणांत पारध
सिद्ध असूं दे सदैव आयुध
या वनीं श्वापदां नाहिं तुटी
जानकिसाठीं लतिका, कलिका
तुझिया माझ्या भक्ष्य सायकां,
उभय लाभले वनांत एका
पोंचलों येथ ती शुभचि घटी
जमव सत्वरी काष्ठें कणखर
उटज या स्थळीं उभवूं सुंदर
शाखापल्लव अंथरुनी वर
रेखुं या चित्र ये गगनपटीं
या मंदाकिनिच्या तटनिकटीं
चित्रकूट हा, हेंच तपोवन
येथ नांदती साधक, मुनिजन
सखे जानकी, करि अवलोकन
ही निसर्गशोभा भुलवि दिठी
पलाश फुलले, बिल्व वांकले
भल्लातक फलभारें लवले
दिसति न यांना मानव शिवले
ना सैल लतांची कुठें मिठी
किती फुलांचे रंग गणावे?
कुणा सुगंधा काय म्हणावें?
मूक रम्यता सहज दुणावें
येतांच कूजनें कर्णपुटीं
कुठें काढिती कोकिल सुस्वर
निळा सूर तो चढवि मयूर
रत्नें तोलित निज पंखांवर
संमिश्र नाद तो उंच वटीं
शाखा-शाखांवरी मोहळे
मध त्यांच्यांतिल खालीं निथळे
वन संजीवक अमृत सगळें
ठेविती मक्षिका भरुन घटीं
हां सौमित्रे, सुसज्ज, सावध,
दिसली, लपली क्षणांत पारध
सिद्ध असूं दे सदैव आयुध
या वनीं श्वापदां नाहिं तुटी
जानकिसाठीं लतिका, कलिका
तुझिया माझ्या भक्ष्य सायकां,
उभय लाभले वनांत एका
पोंचलों येथ ती शुभचि घटी
जमव सत्वरी काष्ठें कणखर
उटज या स्थळीं उभवूं सुंदर
शाखापल्लव अंथरुनी वर
रेखुं या चित्र ये गगनपटीं
गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
संगीत | - | सुधीर फडके |
स्वराविष्कार | - | ∙ सुधीर फडके ∙ आकाशवाणी प्रथम प्रसारण ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
राग | - | मिश्र खमाज |
गीत प्रकार | - | गीतरामायण, राम निरंजन |
टीप - • गीतरामायण. | ||
• प्रथम प्रसारण दिनांक- १२/८/१९५५ | ||
• आकाशवाणीवरील प्रथम प्रसारण स्वर- सुधीर फडके. |
आयुध | - | शस्त्र, हत्यार. |
उटज | - | पर्णकुटी. |
कूजन | - | आवाज. |
कुटिर (कुटी) | - | झोपडी. |
काष्ठ | - | लाकूड / सर्पण. |
घटी | - | घटका, वेळ. |
चित्रकूट | - | प्रयागच्या दक्षिणेस १० मैलांवरचा डोंगर. याच्या उत्तरेस मंदाकिनी नदी वाहते. |
दिठी | - | दृष्टी. |
पल्लव | - | पदर. |
पळस | - | पलाश. 'पळस' या झाडाला वसंत ऋतुत लाल-केशरी रंगाची फुले येतात. |
बिल्व | - | बेलाचे झाड. |
भल्लातक | - | बिब्बा. |
मक्षिका | - | माशी. |
मंदाकिनी | - | भागिरथी / स्वर्गातली नदी. |
लता (लतिका) | - | वेली. |
लवणे | - | वाकणे. |
वटीं | - | वडाचे झाड. |
श्वापद | - | जनावर. |
सायक | - | बाण. |
सौमित्र | - | लक्ष्मण (सुमित्रेचा पुत्र). |
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