उठि श्रीरामा पहाट झाली
उठि श्रीरामा, पहाट झाली पूर्व दिशा उमलली
उभी घेउनी कलश दुधाचा कौसल्या माउली
होमगृही या ऋषीमुनींचे सामवेद रंगले
गोशाळेतुन कालवडींचे दुग्धपान संपले
मंदिरातले भाट चालले गाऊन भूपाळी
काल दर्पणी चंद्र दावुनी सुमंत गेले गृहा
त्याच दर्पणी आज राघवा सूर्योदय हा पहा
वसिष्ठ मुनिवर घेउन गेले पुजापात्र राउळी
राजमंदिरी दासी आल्या रत्नदीप विझविण्या
ऊठ राजसा, पूर्वदिशेचा स्वर्णयज्ञ पाहण्या
चराचराला जिंकुन घेण्या अरुणप्रभा उजळली
उभी घेउनी कलश दुधाचा कौसल्या माउली
होमगृही या ऋषीमुनींचे सामवेद रंगले
गोशाळेतुन कालवडींचे दुग्धपान संपले
मंदिरातले भाट चालले गाऊन भूपाळी
काल दर्पणी चंद्र दावुनी सुमंत गेले गृहा
त्याच दर्पणी आज राघवा सूर्योदय हा पहा
वसिष्ठ मुनिवर घेउन गेले पुजापात्र राउळी
राजमंदिरी दासी आल्या रत्नदीप विझविण्या
ऊठ राजसा, पूर्वदिशेचा स्वर्णयज्ञ पाहण्या
चराचराला जिंकुन घेण्या अरुणप्रभा उजळली
गीत | - | रवीन्द्र भट |
संगीत | - | सुधीर फडके |
स्वर | - | आशा भोसले |
चित्रपट | - | ते माझे घर |
राग | - | देसकार, भूप |
गीत प्रकार | - | राम निरंजन, चित्रगीत |
टीप - • काव्य रचना- १९६१. |
अरुण | - | तांबुस / पिंगट / पहाट, पहाटेचा तांबुस प्रकाश / सूर्यसारथी / सूर्य. |
कालवड | - | जिला अजून वासरू झालेले नाही अशी लहान गाय. |
भाट | - | स्तुतिपाठक. |
राऊळ | - | देऊळ. |
वसिष्ट | - | एक प्रख्यात ब्रह्मर्षि. |
सामवेद | - | चार वेदांतील तिसरा वेद. |
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