उठा उठा हो सकळीक
उठा उठा हो सकळीक
वाचे स्मरावा गजमुख
ऋद्धिसिद्धिचा नायक
सुखदायक भक्तांसी
अंगी शेंदुराची उटी
माथां शोभतसे किरीटी
केशर कस्तुरी लल्लाटी
हार कंठी साजिरा
कानी कुंडलांची प्रभा
सूर्य-चंद्र जैसे नभा
माजि नागबंदी शोभा
स्मरतां उभा जवळी तो
कांसे पीताम्बराची धटी
हाती मोदकांची वाटी
रामानंद स्मरतां कंठी
तो संकटी पावतो
वाचे स्मरावा गजमुख
ऋद्धिसिद्धिचा नायक
सुखदायक भक्तांसी
अंगी शेंदुराची उटी
माथां शोभतसे किरीटी
केशर कस्तुरी लल्लाटी
हार कंठी साजिरा
कानी कुंडलांची प्रभा
सूर्य-चंद्र जैसे नभा
माजि नागबंदी शोभा
स्मरतां उभा जवळी तो
कांसे पीताम्बराची धटी
हाती मोदकांची वाटी
रामानंद स्मरतां कंठी
तो संकटी पावतो
गीत | - | रामानंद |
संगीत | - | पं. हृदयनाथ मंगेशकर |
स्वर | - | लता मंगेशकर |
राग | - | भूप, देसकार |
गीत प्रकार | - | प्रथम तुला वंदितो, भक्तीगीत |
कुंडल | - | कानात घालायचे आभूषण. |
कस्तुरी | - | एक अतिशय सुगंधी द्रव्य. |
कांस | - | कंबर. |
किरीट | - | मुकुट. |
धटी | - | मूल्यवान वस्त्र / धोतराच्या पदराची जाडी. |
नागबंद | - | कमरेचा अलंकार. |
रिद्धिसिद्धि | - | ऋद्धी व सिद्धी या गणपतीच्या दोन दासी आहेत. |
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