त्यागिला थारा नाहीं
त्यागिला थारा नाहीं भीति मातें सतत रमें सुखिं ।
जन वन सम मज वाटे आधारा ॥
विलासिता मला पाप जहाली ।
धन नरक मानिं मी । वैरि मज न कुणी ॥
जन वन सम मज वाटे आधारा ॥
विलासिता मला पाप जहाली ।
धन नरक मानिं मी । वैरि मज न कुणी ॥
गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | प्रकाश घांग्रेकर |
नाटक | - | सत्तेचे गुलाम |
राग | - | सिंधुरा |
चाल | - | ते बुलाओरे माई |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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