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तारे नही ये तो रातको

तारे नही, ये तो रातको
आतिश भरे मोरे आहने
है लिख दिया आसमां पर
तेरे सितम का माजरा

ओ गुलबदन्‌ जादूनयन !
फूलों से नाजुक तन तेरा !
जालीम तेरे नयनोंने क्यौं
घायल्‌ किया जियरा मोरा?

कभि कहके कुछ पछताये हम
कभी रहके चुप पछताये हम
पर एकही नतीजा ये हुवा-
उलझनसे मेरा दिल गिरा

तुझे क्या खबर है ओ बेवफा
आँखों कि हो तुम रोशनी
लग जा गले को नाजनीं
ये दिलभी रोशन्‌ कर जरा
गीत - विद्याधर गोखले
संगीत - पं. राम मराठे
स्वर- प्रसाद सावकार
नाटक - मंदार-माला
राग - मिश्र खमाज
ताल-रूपक
गीत प्रकार - नाट्यसंगीत

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