स्वकर शपथ-वचनिं वाहिला
स्वकर शपथ-वचनिं वाहिला ।
उगीच कां तुवां? ।
निजतनु दिधली मला, तो काय,
पोरखेळ नवा ॥
पसरिली माया लटकिच कां ती ।
वरिलें मज कां धरुनी साक्षी त्या माधवा ॥
उगीच कां तुवां? ।
निजतनु दिधली मला, तो काय,
पोरखेळ नवा ॥
पसरिली माया लटकिच कां ती ।
वरिलें मज कां धरुनी साक्षी त्या माधवा ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | रामदास कामत |
नाटक | - | संशयकल्लोळ |
राग | - | श्यामकल्याण |
चाल | - | नगरी मोरी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.