सुखानें रमाया जरि
सुखानें रमाया जरि सांडि न विभवा । रीत अभिनवा समदशा धना,
गमते वासना ही धनदाही ॥
सदा कामना जवळि विलय आणी । आस करी नाश ही धनदाही ॥
गमते वासना ही धनदाही ॥
सदा कामना जवळि विलय आणी । आस करी नाश ही धनदाही ॥
गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | प्रभाकर कारेकर |
नाटक | - | सत्तेचे गुलाम |
राग | - | अडाणा |
ताल | - | त्रिताल |
चाल | - | बंगरि मुरक गयि |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
विभव | - | संपत्ती, ऐश्वर्य. |
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