सुजन कसा मन चोरी
सुजन कसा? मन चोरी !
अग हा चोरी यदुकुलनंदन ॥
सहज नेत्र भिडे; सहज मोह पडे;
सहजचि करी मम हृदय हें वेडें;
विलीन-लोचन-मार्गे शिरत घरीं ॥
अग हा चोरी यदुकुलनंदन ॥
सहज नेत्र भिडे; सहज मोह पडे;
सहजचि करी मम हृदय हें वेडें;
विलीन-लोचन-मार्गे शिरत घरीं ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ पं. कुमार गंधर्व ∙ मधुवंती दांडेकर ∙ नीलाक्षी जोशी ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | स्वयंवर |
राग | - | भूप |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | फुलवनसेज सवारू |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत |
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