सोऽहम हर-डमरू बाजे
'सोऽहम' हर-डमरू बाजे
उसके सुर तालों के
सुखकारक झूले पर
झूम रहे सरिता-सर
भुवन-त्रय गाजे
डमरु-ओंकार नाद
परमेसर का प्रसाद
उसके ही महिमा से
गिरि-कंदर गाजे
उसके सुर तालों के
सुखकारक झूले पर
झूम रहे सरिता-सर
भुवन-त्रय गाजे
डमरु-ओंकार नाद
परमेसर का प्रसाद
उसके ही महिमा से
गिरि-कंदर गाजे
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे |
स्वराविष्कार | - | ∙ ज्योत्स्ना मोहिले ∙ आशा खाडिलकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | मंदार-माला |
राग | - | तोडी |
ताल | - | एकताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
गिरिकंदर | - | डोंगरातली गुहा. |
सोहं | - | मीच ब्रह्म असा भाव. |
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