शांत दांत कालिका ही
शांत दांत कालिका ही । चारुगात्री देवता ही ॥
असुर वधून ही सदाही । करोनी आनंदा या जागाही ॥
असुर वधून ही सदाही । करोनी आनंदा या जागाही ॥
गीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
संगीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
स्वर | - | मास्टर दीनानाथ |
नाटक | - | रामराज्यवियोग |
चाल | - | काय सान मानसा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
गात्र | - | शरीराचा अवयव. |
चारू | - | सुंदर. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.