रूपें श्यामसुंदर निलोत्पल
रूपें श्यामसुंदर निलोत्पल गाभा ।
सखीये स्वप्नीं शोभा देखियेला ॥१॥
शंख-चक्र-गदा शोभती चहूं करीं ।
सखीये गरुडावरी देखियेला ॥२॥
पीताम्बर कटिं दिव्य चंदन उटी ।
सखीये जगजेठी देखियेला ॥३॥
विचारतां मानसीं नये जो व्यक्तीसी ।
नामा केशवेसी लुब्धोनी ठेला ॥४॥
सखीये स्वप्नीं शोभा देखियेला ॥१॥
शंख-चक्र-गदा शोभती चहूं करीं ।
सखीये गरुडावरी देखियेला ॥२॥
पीताम्बर कटिं दिव्य चंदन उटी ।
सखीये जगजेठी देखियेला ॥३॥
विचारतां मानसीं नये जो व्यक्तीसी ।
नामा केशवेसी लुब्धोनी ठेला ॥४॥
गीत | - | संत नामदेव |
संगीत | - | प्रभाकर पंडित |
स्वर | - | सुरेश वाडकर |
गीत प्रकार | - | संतवाणी |
कटि | - | कंबर. |
ठेला | - | उभा राहिलेला / कुंठित. |
निलोत्पल | - | निळे कमळ. |
लुब्ध | - | मोहित, भुरळ पडलेला. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.