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रतिरंग रंगे ध्यान

रतिरंग । रंगे ध्यान । रंगवित रंग ।
वांच्छिला प्रेम संग । परि होई मनोभंग ॥

विकच दल सुमनांग । भ्रमरीस सुख संग ।
विपरीत परि दैव तरि होई रसभंग ॥