प्रेमपूर्ण जगीं मातृदेवता
प्रेमपूर्ण जगीं मातृदेवता ।
मनुज-सुख-निधी नच त्यापरता ॥
जनक परका होत तनया ।
अखिल जगतीं नाहीं माया ।
सतत विसावा परि ती माता ॥
मनुज-सुख-निधी नच त्यापरता ॥
जनक परका होत तनया ।
अखिल जगतीं नाहीं माया ।
सतत विसावा परि ती माता ॥
गीत | - | वसंत शांताराम देसाई |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव, विनायकबुवा पटवर्धन |
स्वर | - | विठ्ठलराव गुरव |
नाटक | - | विधिलिखित |
राग | - | पहाडी |
ताल | - | केरवा |
चाल | - | कौन कौन बनलावूं |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
तनय (तनया) | - | पुत्र (कन्या). |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.